Anil Kapoor
Home Entertainment अनिल कपूर और देशभक्ति का है रिश्ता पुराना, डालें उनके सबसे जोश से लबरेज़ किरदारों पर नजर

अनिल कपूर और देशभक्ति का है रिश्ता पुराना, डालें उनके सबसे जोश से लबरेज़ किरदारों पर नजर

सुबेदार से पहले फिर एक बार, उन फ़िल्मों को याद करें जहां अनिल कपूर बने थे देश के सच्चे सिपाही

अनिल कपूर और देशभक्ति का रिश्ता पुराना है — सुबेदार से पहले उन किरदारों को करें सलाम

सालों से, अनिल कपूर ने उस धारणा को नए मायनों में परिभाषित किया है कि कमांड में होने का क्या मतलब होता है — सैनिक हों या रणनीतिकार, उनके द्वारा दी गई हर सलामी में एक अलग ही गंभीरता झलकती है।

अनिल कपूर

यहाँ उन कुछ किरदारों की चर्चा है, जहाँ वर्दी में उनकी मौजूदगी को दर्शकों ने दिल खोलकर सराहा:

  1. सूबेदार
    अपनी आगामी फिल्म सूबेदार में, अनिल कपूर न केवल एक पूर्व सैन्य अधिकारी की भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि एक ऐसे सिस्टम की भावनात्मक रीढ़ बनते नज़र आएंगे, जो भीतर से टूट रहा है। सूबेदार अर्जुन सिंह — उनके चेहरे की चुप्पियाँ, उनकी नज़र की दृढ़ता और भीतर छिपे घावों की कहानी हर फ्रेम में दर्ज हो जाती है। ये घाव सिर्फ जिस्म पर नहीं, रूह तक सिल दिए गए हैं।
  2. फ़ाइटर
    फ़ाइटर में ग्रुप कैप्टन राकेश जयसिंह (रॉकी) के रूप में अनिल कपूर ने हर कॉकपिट संवाद में गरिमा और गम्भीरता जोड़ते हैं। वह ऐसे लीडर हैं जिन्हें अपनी बात कहने के लिए आवाज़ उठाने की ज़रूरत नहीं — उनकी नज़र ही काफी है।
  3. पुकार
    मेजर जयदेव राजवंश के रूप में अनिल कपूर उतने ही देशभक्त हैं, जितने जोशीले। पुकार में मेलोड्रामा का सैन्य सटीकता से मिलन हुआ है, और अनिल कपूर ने दोनों को ही मुख्य भूमिका में बखूबी निभाया है। इस किरदार के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि एक खड़े होकर दी गई तालियों वाली सलामी थी।
  4. थार
    रेत के शहर में सच्चाई और साया तलाशते एक रेगिस्तानी पुलिसवाले की भूमिका में, अनिल कपूर ने ‘थार’ में यथार्थ और क्लासिक नोयर का गज़ब मेल रचा। यह किरदार वर्दी की ताक़त से कम और नैतिक उलझनों से ज़्यादा चलता है — और अनिल इसे भी पूरी सहजता से निभाते हैं।
  5. 24 (टीवी सीरीज़)
    एटीयू चीफ़ जय सिंह राठौर के रूप में अनिल कपूर ने भारतीय टेलीविज़न का चेहरा ही बदल दिया। रणनीतिक, पीड़ित और हर समय दुश्मन से दस कदम आगे — यह सिर्फ एक किरदार नहीं, एक नई परिभाषा थी। हाथ में बंदूक और जेब में रहस्य लिए, वो अपने आप में एक पूरा जॉनर बन गए।
अनिल कपूर

यह भी पढ़े: Power of Priyanka: प्रियंका चोपड़ा बनीं एस्क्वायर इंडिया के कवर पर दिखने वाली पहली महिला

चाहे वह रेगिस्तानी तूफ़ानों में न्याय की तलाश कर रहे हों, बंद दरवाज़ों के पीछे देश के राज़ छुपा रहे हों, या युद्ध के खामोश ज़ख्मों को ढो रहे हों, अनिल कपूर सिर्फ़ वर्दी नहीं पहनते, बल्कि उसे आत्मा देते हैं।

अनिल कपूर

दशकों, शैलियों और पीढ़ियों के आर-पार, उन्होंने हर सलामी को एक कहानी में बदला, और हर मिशन को एक याद बना दिया। सूबेदार के साथ, वह एक ऐसी भूमिका में लौट रहे हैं जो व्यक्तिगत और शक्तिशाली दोनों लगती है, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि दर्शक एक बार फिर उन्हें सलाम करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

अलाईपायुथे से तनु वेड्स मनु तक आर. माधवन के रोमांटिक किरदार, जो बने कल्ट क्लासिक

ऐसा बहुत कम होता है जब पर्दे पर दिखाया गया प्यार इतना सच्चा लगता है कि वो असली जज़्बातों क…