
“क्या हर दिन बेटी दिवस नहीं होता?” — कावेरी के लिए शेखर कपूर का यह दिल को छू लेने वाला नोट – प्रेम, विरासत और कला का प्रतीक है
फ़िल्मकार शेखर कपूर, जो जीवन के प्रति अपने काव्यात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने हाल ही में अपनी बेटी कावेरी कपूर की बचपन की एक प्यारी सी पुरानी तस्वीर के साथ एक बेहद भावनात्मक संदेश साझा किया। जिसमें वह मुक्का मारने वाली नक्काशी वाली एक दीवार के सामने मजाकिया चेहरे के साथ मस्ती से पोज़ दे रही हैं। यह पोस्ट पिता-पुत्री के कोमल, आनंदमय और शाश्वत रिश्ते के सार को खूबसूरती से दर्शाता है।
इंस्टाग्राम पर साझा किए गए इस संदेश की शुरुआत एक सरल लेकिन गहरे सवाल से होती है — “क्या हर दिन ‘बेटी दिवस’ नहीं होता?” इसके बाद शेखर कपूर ने प्रेम, गर्व और पिता-पुत्री के आध्यात्मिक संबंध पर एक दिल छू लेने वाला मनन साझा किया।
पोस्ट देखें – https://www.instagram.com/p/DP28wBBESBc/

शेखर कपूर अपने शब्दों में बताते हैं कि कैसे कावेरी ने उनके जीवन को एक “अर्थ” दिया, और “वह डोरी जिसने मुझे जीवन से जोड़ रखा”। उनका यह संदेश एक भावनाओं से भरा संदेस प्रतीत होता है, जिसमें पिता अपनी बेटी के प्रति स्नेह और प्रशंसा व्यक्त करते हैं, क्योंकि वे इस बात पर विचार करते हैं कि कैसे उनकी बेटी कावेरी कपूर, जो एक गायिका-गीतकार, अभिनेत्री और कवियत्री हैं, उनकी दुनिया में अर्थ, आधार और ज्ञान लेकर आई हैं।
वो लिखते हैं, “तुमने मुझे उससे कहीं ज़्यादा ज्ञान दिया जितना मैं तुम्हें कभी नहीं दे सकता था।”
सबसे ख़ास बात यह है कि कावेरी में वे जिस जटिल द्वंद्व को देखते हैं, उसे खूबसूरती से व्यक्त करने की उनकी क्षमता, “एक युवा मन में बसी प्राचीन आत्मा।” वे उसकी रचनात्मकता, करुणा और संवेदनशीलता को ईमानदारी से स्वीकार करते हैं, और बताते हैं कि कैसे उसकी आत्मा कविता, संगीत और जीवों के प्रति सहानुभूति के माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करती है।
संदेश के अंत में वे लिखते हैं — “काश मैं तुम्हें तब जानता होता… पर शायद मैं जानता था?”
इन शब्दों के साथ, शेखर कपूर पाठकों को एक टाइमलेस जुड़ाव का एहसास दिलाते हैं।

यह पिता-पुत्री का बंधन अब कला के क्षेत्र में भी एक साथ जुड़ने जा रहा है। दोनों जल्द ही ‘मासूम: द नेक्स्ट जेनरेशन’ पर काम करने वाले हैं — जो शेखर कपूर की प्रतिष्ठित कहानी कहने की परंपरा का अगला अध्याय है। इस प्रोजेक्ट में कावेरी कपूर एक अहम भूमिका निभाएंगी, जो पीढ़ियों के बीच एक रचनात्मक पुल का प्रतीक है।
अपनी गहराई, संवेदनशीलता और आत्मीय कलात्मकता के साथ, कावेरी अपने पिता की दृष्टि में एक नया दृष्टिकोण जोड़ती हैं — निरंतरता और परिवर्तन, दोनों का सुंदर संगम।
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