मौनी रॉय - फारूक कबीर
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‘सलाकार’ में मौनी रॉय का एक अनोखा सरप्राइज़ पैकेज

जब फारूक कबीर की सीरीज़ ‘सलाकार’ की घोषणा हुई, तो दर्शकों को एक पारंपरिक जासूसी थ्रिलर की उम्मीद थी जिसमें नेविन कस्तूरिया जैसे भरोसेमंद अभिनेता मुख्य भूमिका में होंगे। लेकिन उन्होंने यह नहीं सोचा था कि मौनी रॉय इस सीरीज़ के गुप्त हथियार के रूप में उभरेंगी, एक ऐसी प्रभावशाली और गहराई से भरी परफॉर्मेंस के साथ, जो उन्हें सिर्फ एक जाना-पहचाना चेहरा नहीं, बल्कि एक दमदार कलाकार के रूप में स्थापित कर देती है।

मौनी रॉय

सीरीज में मौनी रॉय “मरियम” उर्फ “शृष्टि” के रूप में नजर आती हैं। जो पाकिस्तान की खतरनाक इलाके में काम कर रही एक अंडरकवर रॉ एजेंट हैं। उनका किरदार सिर्फ जासूसी के बाहरी ग्लैमर तक सीमित नहीं है, बल्कि वह उस मानसिक और भावनात्मक कीमत को भी सामने लाता है जो एक दोहरी ज़िंदगी जीने में एक एजेंट को चुकानी पड़ती है। मौनी इस जटिलता को बेहद सच्चाई और बारीकी से पर्दे पर उतारती हैं।

उनके अभिनय की खूबसूरती उनके संतुलित और संयमित प्रदर्शन में है। शृष्टि चतुर्वेदी उर्फ मरियम के रूप में मौनी रॉय की आँखों में झलकती ‘ज्वलनशील चिंता’ (smouldering concern) उनके चेहरे का स्थायी भाव बन जाती है। यह कोई पारंपरिक बॉलीवुड जासूस नहीं है, जो केवल धमाकेदार एक्शन या ड्रामाई खुलासों पर निर्भर करता है।

मौनी रॉय

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मरियम एक ऐसा किरदार है जो अपनी बुद्धिमत्ता और भावनात्मक गहराई के कारण खतरनाक लगती है — एक साथ नाज़ुक भी और जानलेवा भी। निजी इच्छाओं और देशभक्ति के बीच फंसी मरियम जिस तरह अपनी पाकिस्तानी पहचान को निभाते हुए अपने भारतीय मूल स्वभाव को संजोए रखती है, वह एक दिलचस्प द्वंद्व रचता है, जो कहानी को भावनात्मक बल देता है।

इस परफॉर्मेंस को खास बनाती है मौनी की वह क्षमता, जिससे वह मरियम को जासूसी की सीमाओं के बावजूद एक यादगार और गहराई भरा किरदार बना देती हैं। मौनी ने खुद कहा कि मरियम सिर्फ साहसी नहीं, बल्कि जटिल, उलझी हुई और बेहद मजबूत किरदार है।

मौनी रॉय

सीरीज़ के अंतिम एपिसोड के बाद भी, जो चीज़ दर्शकों के मन में रह जाती है, वह है मौनी रॉय की ‘मरियम’ — सिर्फ एक जासूस नहीं, बल्कि एक ऐसी इंसान जो नामुमकिन हालातों में भी अपने वजूद को संभाले रहती है।

यह भूमिका न सिर्फ़ अभिनेत्री के अब तक के सबसे बेहतरीन कामों में से एक है, बल्कि यह एक ऐसा ट्रांसफॉर्मेटिव रोल है। जो एक अभिनेता के करियर की दिशा को नई परिभाषा देती है और साबित करती है कि असली स्टार पावर स्क्रीन पर समय बिताने से नहीं, बल्कि उनके द्वारा छोड़ी गई छाप से जुड़ी होती है।

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