
हिंदी पर जहर उगलने वाले राज ठाकरे के खिलाफ SC में ‘भड़काऊ भाषण’ का मुकदमा
सुप्रीम कोर्ट ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाने वाले याचिकाकर्ता सुनील शुक्ला को अपना मामला बॉम्बे हाईकोर्ट ले जाने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्ला से पूछा कि उन्होंने शुरुआत में हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया और पूछा, “क्या बॉम्बे हाईकोर्ट में छुट्टी है?” अदालत के इस सवाल के बाद, शुक्ला के वकील ने याचिका वापस ले ली।

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राज ठाकरे पर हिंसा भड़काने का आरोप
उत्तर भारतीय विकास सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शुक्ला का आरोप है कि ठाकरे ने 30 मार्च को गुड़ी पड़वा रैली के दौरान भड़काऊ भाषण दिया था। उनका दावा है कि इस भाषण ने हिंदी बोलने पर उत्तर भारतीय समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़काई। शुक्ला की याचिका में आरोप लगाया गया है कि इसके कारण पवई और वर्सोवा सहित मुंबई के विभिन्न हिस्सों में हिंदी भाषी कार्यकर्ताओं पर हमले हुए।
मनसे के लोगों पर उत्पीड़न का आरोप
याचिकाकर्ता का दावा है कि उत्तर भारतीयों के अधिकारों की वकालत करने के कारण वह मनसे और उसके सहयोगियों के निशाने पर हैं। उनका आरोप है कि उन्हें कई धमकियाँ मिली हैं, जिनमें सोशल मीडिया पर उनकी हत्या का सार्वजनिक आह्वान और 100 से ज़्यादा गुमनाम फ़ोन कॉल शामिल हैं जिनमें उनकी जान को ख़तरा बताया गया है।
याचिका में 6 अक्टूबर, 2024 की एक घटना का भी ज़िक्र है, जब मनसे से जुड़े लगभग 30 लोगों ने कथित तौर पर उनके राजनीतिक दल के कार्यालय में तोड़फोड़ करने की कोशिश की थी।
सरकार और पुलिस पर भी आरोप
शुक्ला की याचिका में दावा किया गया है कि महाराष्ट्र सरकार और पुलिस मनसे कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज करने के उनके बार-बार के अनुरोध पर कार्रवाई करने में विफल रही हैं। मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक और अन्य अधिकारियों को कई लिखित शिकायतें देने के बावजूद, उनका दावा है कि आज तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट की अनुमति दी
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन उसने शुक्ला को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। इस निर्णय से उनके लिए अपनी शिकायतों के लिए कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए उपयुक्त उच्च न्यायालय में जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
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