‘आत्मनिर्भर भारत’: सबके एकजुट प्रयासों से पूरा हो सकेगा यह लक्ष्य, जानिए क्या हैं इसके मायने
कोई देश अगर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो तो उसकी आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय स्थित दोनो ही बेहद अच्छी होती है
भारत ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी और उसके कारण आई आर्थिक मंदी का सामना एक साथ किया है। हालांकि भारत की आर्थिक स्थिति अब तेजी से बेहतर हो रही है। पिछले वर्ष आर्थिक मंदी से बाहर आने के लिए देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ का नया मंत्र देशवाशियों को दिया था। प्रधानमंत्री मोदी का यह अभियान हर वर्ग के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है ।
‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन का सकरात्मक असर देश की मजबूत हो रही अर्थव्यवस्था पर भी नजर आ रहा है। भारत के उद्योग जगत से लेकर रक्षा क्षेत्र तक को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जा रहा है। लेकिन क्या यह सरलता से मिल जाने वाला लक्ष्य है? क्योंकि यह बात किसी से छुपी नही है कि हम अपने दैनिक जीवन मे काम आने वाली कई ऐसी वस्तुओं पर निर्भर है जो विदेशी कंपनियों द्वारा निर्मित की जाती है। साथ ही अक्सर यह भी पाया गया है कि लोग ‘मेड इन इंडिया’ के प्रोडक्ट्स की जगह विदेशी प्रोडक्ट्स पर भरोसा करते है। ऐसे में विदेशी प्रोडक्ट्स का त्याग करके स्वदेशी अपनाने की प्रक्रिया सरल नही होगी।
बता दें कि आत्मनिर्भर का सही मतबल यह होता है कि कोई भी व्यक्ति, गांव या देश किसी दूसरे के सहारे या किसी दूसरे पर निर्भर नहीं होकर खुद पर ही निर्भर रहे। हालांकि आत्मनिर्भर होना किसी व्यक्ति या फिर देश के लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि किसी दूसरे पर निर्भरता खुद को कमजोर बनाती है। साथ ही यदि कोई देश आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो तो उसकी आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय स्थित दोनो ही बेहद अच्छी होती है ।
भारत अगर तेजी से स्वदेशी प्रोडक्ट्स की ओर अपना रूख करता है तो इससे न केवल रोजगार के नए अवसर जन्म लेंगे बल्कि भारत का अपना एक मजबूत और प्रगतिशील बाजार तैयार हो जाएगा। इसके साथ भारत के लोकल प्रोडक्ट्स बाजार में अपनी जगह बनाकर लोकल से ब्रांडेड प्रोडक्ट्स में तब्दील हो जाएंगे। अब देश में तेजी से हो रहे कोरोना टीकाकरण ने भी बाजार को रफ्तार देने में मदद की है। जिसके चलते निवेशकों में भी अब नया उत्साह आ रहा है। ऐसे में अगर देशवासी ‘मेड इन इंडिया’ प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के साथ-साथ भारतीय स्टार्टअप्स को भी सपोर्ट करेंगे तो हम सही मायनों में देश को पूरी तरह आत्मनिर्भर बना पाएंगे।
केंद्र की मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत से पहले भी कई अभियान चलाए है। जिसमें ‘मेड इन इंडिया’ के प्रोडक्ट्स को तवज्जो देने की अपील की गई थी। इसके साथ ही स्वच्छ भारत अभियान भी मोदी सरकार की एक बेहतर पेशकश थी। अपने देश को स्वच्छ रखना भी एक बड़ी जिम्मेदारी हैं। पर स्वच्छ्ता अभियान से पहले इस विषय को कभी संजीदगी से नही लिया गया। इसके अलावा नोटबंदी , जी. एस .टी. जैसे अहम फैसलो पर भी जनता ने परेशानी सहकर अपना समर्थन दिया, पर ये बात किसी से छुपी नही की इन फैसलो को लेते वक्त कई ऐसी चीजों पर ध्यान नही दिया गया जिसके चलते जनता को अनावश्यक परेशानिया भी उठानी पड़ी है। लेकिन अब आशा है की सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को तत्परता से आगे बढ़ाएगी और देश जल्द ही आर्थिक मंदी से बाहर निकलकर विकास की दौड़ में सफल होगा।
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